भूख के एहसास को शेरो-सुखन तक ले चलो
भूख के एहसास को शेरो-सुखन तक ले चलो
या अदब को मुफलिसों की अंजुमन तक ले चलो
जो गजल माशूक के जल्वों से वाकिफ हो गयी
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो
मुझको नज्मो-जब्त की तालीम देना बाद में
पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो
गंगाजल अब बूर्जुआ तहजीब की पहचान है
तिशनगी को वोदका के आचमन तक ले चलो
खुद को जख्मी कर रहे हैं गैर के धोखे में लोग
इस शहर को रोशनी के बांकपन तक ले चलो
-अदम गोंडवी
सोमवार, 19 दिसंबर 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
क्या डेटा कोटा के विभाजन को उचित ठहराता है?
क्या डेटा कोटा के विभाजन को उचित ठहराता है ? हाल ही में हुई बहसों में सवाल उठाया गया है कि क्या अनुसूचित जाति के उपसमूहों में सकारात्म...
-
गुरु रविदास जन्मस्थान सीर गोवर्धनपुर बनारस मुक्ति संग्राम - एस आर दारापुरी, आईपीएस (से. नि.) सभी लोग जानते ह...
-
डॉ. आंबेडकर और जाति की राजनीति -एस. आर. दारापुरी , राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट डॉ. आंबेडकर दलित राजनीति के जनक म...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें