रविवार, 18 दिसंबर 2011

जनता के पास एक ही चारा है बगावत

काजू भुने पलेट में, व्हिस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनाएं तो किस तरह
जो आ गये फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहां की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूं मैं होशो-हवास में
Adam Gondvi

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

संत रैदास का बेगमपुरा : पहली व्याख्या

  संत रैदास का बेगमपुरा : पहली व्याख्या ( कँवल भारती)   भारत की अवैदिक और भौतिकवादी चिन्तनधारा मूल रूप से समतावादी रही है। इसी को चन्द...