रविवार, 18 दिसंबर 2011

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है।

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है।
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है।।

भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी।
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है।।

बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में।
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है।।

सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसे।
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है।।
ADAM GONDVI

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

गोलागोकर्णनाथ मंदिर का बौद्ध संबंध

  गोलागोकर्णनाथ मंदिर का बौद्ध संबंध एस आर दारापुरी आईपीएस (से.नि.) ((नोट: उत्तर प्रदेश के खीरी जिला में गोलागोकर्णनाथ मंदिर एक प्रसि...