तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो
इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है, नवाबी है
लगी है होड़-सी देखो अमीरी औ गरीबी में
ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है
तुम्हारी मेज चाँदी की तुम्हारे ज़ाम सोने के
यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है
ADAM GONDVI
रविवार, 18 दिसंबर 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संत रैदास का बेगमपुरा : पहली व्याख्या
संत रैदास का बेगमपुरा : पहली व्याख्या ( कँवल भारती) भारत की अवैदिक और भौतिकवादी चिन्तनधारा मूल रूप से समतावादी रही है। इसी को चन्द...

-
मैं चाहता हूँ कि मनुस्मृति लागू होनी चाहिए ( कँवल भारती) मैंने अख़बार में पढ़ा था कि गत दिनों बनारस में कुछ दलित छात्रों ने म...
-
डॉ. आंबेडकर और जाति की राजनीति -एस. आर. दारापुरी , राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट डॉ. आंबेडकर दलित राजनीति के जनक म...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें