मोदी कितने धर्म निरपेक्ष ?
एस. आर. दारापुरी
हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल की नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में न केवल घंटों पूजा ही की बल्कि उक्त हिन्दू मंदिर को जनता के पैसे से 25 करोड़ का दान भी दिया. प्रशन यह है क्या उन्होंने ऐसा एक धर्म निरपेक्ष देश या एक हिन्दू देश के प्रधान मंत्री के रूप में किया है? क्या उन्हें अपने धर्म से जुड़े मंदिर को जनता के पैसे से उक्त धनराशी दान में देने का अधिकार है? क्या यह राजनीतिक नैतिकता और संवैधानिक मर्यादा के विपरीत नहीं है? यदि हरेक मंत्री विदेश में जा कर या अपने देश में ही अपनी अपनी धर्म परायणता दिखने लगे तो फिर क्या होगा?
किसी देश को विकास के लिए सहायता देना एक अलग बात है परन्तु अपने धर्म के मंदिर को जनता का पैसा दान देना बिलकुल गलत है.वैसे तो यह किसी से छुपा नहीं है कि हमारे राजनेताओं और सरकारों का आचरण कितना धर्म निरपेक्ष है.
इस मौके पर नेहरु जी का धर्म निरपेक्ष आचरण उल्लेखनीय है. उन्होंने सरदार पटेल के इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया था जिस में सोमनाथ मंदिर का सरकारी पैसे से जीर्णोधार प्रस्तावित किया गया था. इसी प्रकार नेहरु ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जो बहुत हिन्दू धर्म परायण थे और जिन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद काशी जा कर 101 ब्राह्मणों के चरण धोये थे, को सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेने दिया था.
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा ब्राह्मणों के चरण धोने के बारे में लोहिया ने अपनी पुस्तक "भारत में जाति" में लिखा है, " इस दुनिया में भारतीय सब से अधिक अभिशप्त हैं क्योंकि उन के देश का प्रथम नागरिक ( राष्ट्रपति) 101 ब्राह्मणों के चरण धोता है." उन्होंने इसे पूरे राष्ट्र का अपमान भी कहा था.
एस. आर. दारापुरी
हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल की नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में न केवल घंटों पूजा ही की बल्कि उक्त हिन्दू मंदिर को जनता के पैसे से 25 करोड़ का दान भी दिया. प्रशन यह है क्या उन्होंने ऐसा एक धर्म निरपेक्ष देश या एक हिन्दू देश के प्रधान मंत्री के रूप में किया है? क्या उन्हें अपने धर्म से जुड़े मंदिर को जनता के पैसे से उक्त धनराशी दान में देने का अधिकार है? क्या यह राजनीतिक नैतिकता और संवैधानिक मर्यादा के विपरीत नहीं है? यदि हरेक मंत्री विदेश में जा कर या अपने देश में ही अपनी अपनी धर्म परायणता दिखने लगे तो फिर क्या होगा?
किसी देश को विकास के लिए सहायता देना एक अलग बात है परन्तु अपने धर्म के मंदिर को जनता का पैसा दान देना बिलकुल गलत है.वैसे तो यह किसी से छुपा नहीं है कि हमारे राजनेताओं और सरकारों का आचरण कितना धर्म निरपेक्ष है.
इस मौके पर नेहरु जी का धर्म निरपेक्ष आचरण उल्लेखनीय है. उन्होंने सरदार पटेल के इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया था जिस में सोमनाथ मंदिर का सरकारी पैसे से जीर्णोधार प्रस्तावित किया गया था. इसी प्रकार नेहरु ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जो बहुत हिन्दू धर्म परायण थे और जिन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद काशी जा कर 101 ब्राह्मणों के चरण धोये थे, को सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेने दिया था.
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा ब्राह्मणों के चरण धोने के बारे में लोहिया ने अपनी पुस्तक "भारत में जाति" में लिखा है, " इस दुनिया में भारतीय सब से अधिक अभिशप्त हैं क्योंकि उन के देश का प्रथम नागरिक ( राष्ट्रपति) 101 ब्राह्मणों के चरण धोता है." उन्होंने इसे पूरे राष्ट्र का अपमान भी कहा था.
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