शुक्रवार, 13 मई 2016

डॉ. आंबेडकर के साथ कानून मंत्री के रूप में भी छुआछूत होती थी.

डॉ. आंबेडकर के साथ  कानून मंत्री के रूप में भी छुआछूत होती थी.

मैं 1983 में आईपीएस का सीनियर कोर्स करने के लिए राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद गया था. वहीँ पर हम लोगों का कुछ दिन का प्रशिक्षण NIRD ( National Institute of Rural Development) में भी था. वहां पर मेरी भेंट प्रो. माथुर से हुयी जिन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय जहाँ से डॉ. आंबेडकर ने शिक्षा प्राप्त की थी से शिक्षा प्राप्त की थी. बातचीत के दौरान उन्होंने मुझे बताया कि एक बार हम लोगों ने Columbia Alumni का प्रीतिभोज दिल्ली में आयोजित किया था जिस में वह डॉ. आंबेडकर की बगल वाली सीट पर बैठे थे. उन्होंने बताया कि बातचीत के दौरान डॉ. आंबेडकर ने उनसे कहा कि " मिस्टर माथुर, आप जानते हैं कि मैं इस देश का कानून मंत्री हूँ. मेरे साथी मंत्रियों के घरों में जब कभी कोई सामाजिक फंक्शन होता है तो मैं जाता हूँ और वहां पर जो भी पका होता है मैं खाता हूँ. परन्तु जब कभी मैं अपने साथी मंत्रियों को अपने घर पर बुलाता हूँ तो उन में से अधिकतर कुछ भी नहीं खाते हैं और उस दिन व्रत होने का बहाना बना देते हैं. इस से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मेरे साथियों के बीच मेरा सामाजिक दर्जा क्या है?"
इस से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जब इस देश के कानून मंत्री और संविधान निर्माता के साथ उन के सवर्ण साथी ऐसा व्यवहार करते थे तो गाँव में एक अधना दलित के साथ क्या व्यवहार होता होगा? इसी लिए डॉ. आंबेडकर ने हिन्दू धर्म की नारकीय जाति व्यवस्था को नकारने का निर्णय लिया था.

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