गांधीजी की हत्या पर डॉ. अम्बेडकर की प्रतिक्रिया
“30 जनवरी, 1948 को शाम 5-10 बजे एक हिन्दू हत्यारे (नाथू राम गोडसे) युवक ने गांधीजी की छाती में तीन गोलियाँ दागकर उनकी हत्या कर दी। एक क्षण में उसकी हत्या का समाचार आकाश में गूँज उठा। मैं सबसे ऊपरी मंजिल पर गया। बाबा साहब सो रहे थे। मैंने धीरे से उन्हें उठाया और कहा, "बाबासाहेब गांधीजी की हत्या कर दी गई है।" बाबासाहेब पांच मिनट तक निःशब्द रहे और फिर बोले, “उनके दुश्मन भी नहीं चाहेंगे कि उनकी ऐसी नृशंस हत्या हो।” कितना कड़वा सच है उनके बयान में! तीन दिन तक बाबासाहेब गांधीजी के व्यक्तित्व, अछूतों के अधिकारों में रुकावट, उनकी झूठी नीतियों के बारे में बात करते रहे।
इसके अलावा डॉ. अम्बेडकर 31 जनवरी को बिड़ला हाउस में गांधीजी के शव को देखने गये और यह देखकर वे बहुत व्याकुल हुए। अगले दिन डॉ. अम्बेडकर भी थोड़ी दूरी तक शवयात्रा में शामिल हुए। उसी दिन वह राजघाट स्थित दाह संस्कार स्थल पर भी गये थे।
- देवी दयाल की पुस्तक, “डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्
बेडकर की दिनचर्या), पृष्ठ 9-10
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