रविवार, 8 सितंबर 2013

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता ये किसका लहू है, कौन मरा- साहिर लुधियानवी



ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है, कौन मरा

ये कटते हुए तन किसके हैं
नफ़रत के अंधे तूफां में
लुटते हुए गुलशन किसके हैं
बदबख्त फिजाएं किसकी हैं
बर्बाद नशेमन किसके हैं
कुछ हम भी सुनें, हमको भी सुना


किस काम के हैं ये दीन धरम
जो शर्म का दामन चाक़ करे
किस तरह का है ये देश बता
जो बसते घरों को खाक़ करे
ये रूहें कैसी रूहें हैं
जो धरती को नापाक़ करे
आंखें तो उठा, नज़रें तो मिला


जिस राम के नाम पे खून बहे
उस राम की इज्ज़त क्या होगी
जिस दीन के हाथों लाज लुटे
उस दीन की क़ीमत क्या होगी
इंसान की इस जिल्लत से परे
शैतान की जिल्लत क्या होगी
ये वेद हटा, क़ुरान उठा

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