आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (र)
प्रांतीय कार्यालय: 4 मॉल ऐवेन्यू, निकट फिरोज़ कोठी, लखनऊ.
कँवल भारती की गिरफ्तारी अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण
अब तक यह स्पष्ट हो चुका है कि दिनांक 6/8/13 को प्रख्यात दलित लेखक श्री कँवल भारती की गिरफ्तारी उन द्वारा फेसबुक पर लिखी गयी जिन दो पोस्टों को लेकर की गयी है वास्तव में उन में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पंहुचाने जैसी कोई बात ही नहीं है. दरअसल जिस अपराध में उन्हें गिरफ्तार किया गया है यदि उसे सही भी मान लिया जाये तो भी इस अपराध में उनकी गिरफ्तारी की ही नहीं जा सकती थी क्योंकि इस की अधिकतम सजा 3 वर्ष है. पुलिस ने इस मामले में कोई भी तफ्तीश न करके सबसे पहले उन्हें गिरफ्तार करने का काम ही किया जो कि विवेचना की निर्धारित प्रक्रिया के विपरीत है. उनकी गिरफ्तारी में कानून के प्रावधानों का खुला उलंघन किया गया और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गयी. इस प्रकार उन की गिरफ्तारी पूर्णतया अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण है जो कि निंदनीय भी है.
श्री कँवल भारती ने के अनुसार उस दिन रामपुर पुलिस द्वारा उन्हें प्रातः 7.30 बजे उनके घर से बनियान और पजामा में गिरफ्तार करके थाने पर लाया गया और उन्हें केवल इतना बताया गया कि थाने पर उन के विरुद्ध एक शिकायत प्राप्त हुयी है. वहां उन्हें दोपहर तक बैठाये रखा गया परन्तु उन की गिरफतारी के कारण के बारे में उन्हें नहीं बताया गया. थाने पर उन्हें बिलकुल भूखे प्यासे रखा गया और उनके घर वालों को उनसे मिलने तक नहीं दिया गया. बाद में थाने पर ही उन्होंने अपने घर से मंगवा कर कपडे पहने.
यहां पर यह अंकित करना उचित होगा कि गिरफतारी सम्बन्धी वर्तमान आदेशों के अंतर्गत श्री. कँवल भारती को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था क्योंकि उस अपराध की जिन धाराओं ( धारा 153 ए और 295 आई. पी.सी.) में में केवल 3 वर्ष और 2 वर्ष की सजा का प्राविधान है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में यह स्पष्ट कहा गया है कि जिन मामलों में 7 वर्ष से कम सजा है उनमे पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकती. दूसरे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उसे गिरफ्तारी का कारण बताना ज़रूरी है जो कि इस मामले में नहीं बताया गया. गिरफ्तारी में व्यक्ति की गरिमा का भी पूरा ख्याल रखना आवश्यक है जो कि जान बुझ कर नहीं रखा गया क्योंकि पुलिस उन्हें बनियान और पजामे में घर से उठा कर ले गयी.
घर से गिरफ्तारी के समय पुलिस उन का कम्प्यूटर और मोडम भी गैर क़ानूनी ढंग से उठा कर ले गयी क्योंकि मौके पर कोई भी सीज़र मीमो तैयार नहीं किया गया जो कि क़ानूनी प्रक्रिया का उलंघन है. इसी कारण कल श्री. कँवल भारती ने न्यायालय में इस के बारे में एक शिकायती प्रार्थना पत्र भी दिया है.
इस के अतिरिक्त पुलिस में जो शिकायत दर्ज की गयी है उस में वादी ने श्री कँवल भारती की 2 अगस्त वाली पोस्ट में " आज़म खान रामपुर में कुछ भी कर सकते है क्योंकि यह उन का क्षेत्र है और खुदा भी उन्हें नहीं रोक सकता है" अपनी तरफ से जोड़ दिया है जब कि पोस्ट में यह वाक्य हैं ही नहीं. कँवल भारती की गिरफ्तारी करने से पहले पुलिस के लिए यह ज़रूरी था कि वह पोस्ट की सत्यता के बारे में जांच करती परन्तु जान बूझ कर ऐसा नहीं किया गया.
उपरोक्त तथ्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कँवल भारती की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी रामपुर के अति प्रभावशाली नेता श्री आज़म खान के इशारे पर सभी नियमों और कानून को ताक पर रख कर की गयी है जो कि अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण है जिस की आईपीएफ निदा करती है. आईपीएफ यह भी मांग करती है कि कँवल भारती के विरुद्ध बनाये गए फर्जी मामले को तुरंत समाप्त किया जाये और विधि विरुद्ध कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाही की जाये. यदि ऐसा नहीं किया गया तो आईपीएफ इस मांग को लेकर जनांदोलन करेगी और जनहित याचिका दायर करने पर भी विचार करेगी.
एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्ता,
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट उ.प्र..
लखनऊ.
मोबाइल: 9415164845
प्रांतीय कार्यालय: 4 मॉल ऐवेन्यू, निकट फिरोज़ कोठी, लखनऊ.
कँवल भारती की गिरफ्तारी अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण
अब तक यह स्पष्ट हो चुका है कि दिनांक 6/8/13 को प्रख्यात दलित लेखक श्री कँवल भारती की गिरफ्तारी उन द्वारा फेसबुक पर लिखी गयी जिन दो पोस्टों को लेकर की गयी है वास्तव में उन में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पंहुचाने जैसी कोई बात ही नहीं है. दरअसल जिस अपराध में उन्हें गिरफ्तार किया गया है यदि उसे सही भी मान लिया जाये तो भी इस अपराध में उनकी गिरफ्तारी की ही नहीं जा सकती थी क्योंकि इस की अधिकतम सजा 3 वर्ष है. पुलिस ने इस मामले में कोई भी तफ्तीश न करके सबसे पहले उन्हें गिरफ्तार करने का काम ही किया जो कि विवेचना की निर्धारित प्रक्रिया के विपरीत है. उनकी गिरफ्तारी में कानून के प्रावधानों का खुला उलंघन किया गया और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गयी. इस प्रकार उन की गिरफ्तारी पूर्णतया अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण है जो कि निंदनीय भी है.
श्री कँवल भारती ने के अनुसार उस दिन रामपुर पुलिस द्वारा उन्हें प्रातः 7.30 बजे उनके घर से बनियान और पजामा में गिरफ्तार करके थाने पर लाया गया और उन्हें केवल इतना बताया गया कि थाने पर उन के विरुद्ध एक शिकायत प्राप्त हुयी है. वहां उन्हें दोपहर तक बैठाये रखा गया परन्तु उन की गिरफतारी के कारण के बारे में उन्हें नहीं बताया गया. थाने पर उन्हें बिलकुल भूखे प्यासे रखा गया और उनके घर वालों को उनसे मिलने तक नहीं दिया गया. बाद में थाने पर ही उन्होंने अपने घर से मंगवा कर कपडे पहने.
यहां पर यह अंकित करना उचित होगा कि गिरफतारी सम्बन्धी वर्तमान आदेशों के अंतर्गत श्री. कँवल भारती को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था क्योंकि उस अपराध की जिन धाराओं ( धारा 153 ए और 295 आई. पी.सी.) में में केवल 3 वर्ष और 2 वर्ष की सजा का प्राविधान है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में यह स्पष्ट कहा गया है कि जिन मामलों में 7 वर्ष से कम सजा है उनमे पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकती. दूसरे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उसे गिरफ्तारी का कारण बताना ज़रूरी है जो कि इस मामले में नहीं बताया गया. गिरफ्तारी में व्यक्ति की गरिमा का भी पूरा ख्याल रखना आवश्यक है जो कि जान बुझ कर नहीं रखा गया क्योंकि पुलिस उन्हें बनियान और पजामे में घर से उठा कर ले गयी.
घर से गिरफ्तारी के समय पुलिस उन का कम्प्यूटर और मोडम भी गैर क़ानूनी ढंग से उठा कर ले गयी क्योंकि मौके पर कोई भी सीज़र मीमो तैयार नहीं किया गया जो कि क़ानूनी प्रक्रिया का उलंघन है. इसी कारण कल श्री. कँवल भारती ने न्यायालय में इस के बारे में एक शिकायती प्रार्थना पत्र भी दिया है.
इस के अतिरिक्त पुलिस में जो शिकायत दर्ज की गयी है उस में वादी ने श्री कँवल भारती की 2 अगस्त वाली पोस्ट में " आज़म खान रामपुर में कुछ भी कर सकते है क्योंकि यह उन का क्षेत्र है और खुदा भी उन्हें नहीं रोक सकता है" अपनी तरफ से जोड़ दिया है जब कि पोस्ट में यह वाक्य हैं ही नहीं. कँवल भारती की गिरफ्तारी करने से पहले पुलिस के लिए यह ज़रूरी था कि वह पोस्ट की सत्यता के बारे में जांच करती परन्तु जान बूझ कर ऐसा नहीं किया गया.
उपरोक्त तथ्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कँवल भारती की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी रामपुर के अति प्रभावशाली नेता श्री आज़म खान के इशारे पर सभी नियमों और कानून को ताक पर रख कर की गयी है जो कि अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण है जिस की आईपीएफ निदा करती है. आईपीएफ यह भी मांग करती है कि कँवल भारती के विरुद्ध बनाये गए फर्जी मामले को तुरंत समाप्त किया जाये और विधि विरुद्ध कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाही की जाये. यदि ऐसा नहीं किया गया तो आईपीएफ इस मांग को लेकर जनांदोलन करेगी और जनहित याचिका दायर करने पर भी विचार करेगी.
एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्ता,
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट उ.प्र..
लखनऊ.
मोबाइल: 9415164845
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