विधान सभा पर हुआ वादा निभाओ धरना
बेगुनाह मुस्लिम
युवकों को छोड़ने
के चुनावी
वादों को
पूरा करने
की उठी
मांग
लखनऊ। 30 जून
2012।
सपा
सरकार के
वादे को
याद दिलाते
हुए विधान
सभा पर
विशाल धरने
का आयोजन
किया गया. इस
अवसर पर
सैकड़ों की
संख्या में
लोग पहुंचे
इसके अलावा
मानवाधिकार नेताओं,कार्यकर्ताओं और
अन्य संगठनों के
प्रतिनिधि धरने
में शामिल
हुए। धरने
का आयोजन
‘आतंकवाद के
नाम कैद
निर्दोंषों का
रिहाई मंच’
बैनर तले
आयोजित किया
गया ।
मिल्ली गजट
के संपादक
जफरउल इस्लाम
ने कहा
कि वादा
निभाओ धरने
को संविधान
के वादे
से जोड़कर
देखना जरुरी है
क्योंकि संविधान
किसी भी
निर्दोष व्यक्ति
के उत्पीड़न
की इजाजत
नहीं देता
है,इसलिए
यदि कोई सरकार
किसी निर्दोष
का उत्पीड़न
करती है,
तो वह
संविधान के
साथ धोखा
करने जैसा
है,जिसे
किसी भी
कीमत पर बर्दाश्त
नहीं किया
जाना चाहिए।
उन्होंने कहा
कि लखनऊ
में हो
रहे इस
धरने के
मकसद को
पूरे सूबे
में ले
जाने की जरूरत
है।
पूर्व पुलिस
अधिकारी एस
आर दारापुरी
ने कहा
कि हम
मुलायम सिंह
को उनका
चुनावी वादा
याद दिलाना
चाहते हैं। सरकार
को आगाह
किया कि
जिस तबके
में सरकार
को बनाने
का माद्दा
है, वे
सरकार को
बदलने की
ताकत भी
रखते हैं। उन्होंने
खूफिया एजेंसियों
और एटीएस
साम्प्रदायिक संगठन
करार देते
हुए कहा
कि इनकी
कार्यपद्धति से लगता
है कि
जनता द्वारा
चुनी गई
सरकार और
धर्म निरपेक्ष
मूल्यों के
बजाय बजरंग
दल के
प्रति जिम्मेदार
है। उन्होंने खूफिया
और एटीएस
की साम्प्रदायिकता के खिलाफ प्रदेश
व्यापी आंदोलन
छेड़ने का
आवाह्न किया।
आजमगढ़ से
आये मानवाधिकार
नेता मसीहुद्दीन
संजरी ने
सवाल उठाया
कि विधान
सभा के
सामने धरना
स्थल पर बड़ी
संख्या में
मौजूद पुलिस
बतलाता है
कि अल्पसंख्यकों
को लेकर
सरकारी मंशा
कितनी संदिग्ध
है
सामाजिक कार्यकर्ता
संदीप पाण्डेय
ने कहा
कि कई
जांच रिपोर्टों
में यह
साबित हो
चुका है
कि उच्चाधिकारियों की जानकारी में
आतंकवाद के
नाम पर
फर्जी मुठभेड़
की जाती
है। मरने
वालों के
सवाल को
पाकिस्तानी कहकर
खारिज कर दिया
जाता है।
इशरत जहां
का केस
इसका उदाहरण
है। उन्होंने
कहा कि
अगर सरकार
ईमानदारी से
आतंकी वारदातों में
शामिल लोगों
की जांच
कराये तो
बहुत से
बेगुनाह जेलों
से बाहर
आ सकते
हैं।
जन संघर्ष
मोर्चा के
नेता लाल
बहादुर सिंह
ने कहा
कि हाशिमपुरा
दंगे के
25 साल बीत
जाने के
बाद न्याय
न मिलने का
मामला उठाया।
उन्होंने हिदुस्तान
को सेकलुर
बनाने और
जम्बूरियत बहाल
करने के
लिए लंबे
संघर्ष का आवह्नान
किय़ा। उन्होंने
कहा कि
बेगुनाहों की
छोड़ने के
अपने वायदे
से मुकरकर
साम्प्रदायिक एजेंडा
पर बढ़
रही है,जिसे
हर हाल
में रोकना
ही होगा।
राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट
पार्टी के
महासचिव और
पूर्व मंत्री
कौशल किशोर
ने कहा
कि सपा
की मौजूदा
सरकारने चुनाव
के दौरान
वादा किया
था कि
वह सरकार
आने पर
निर्दोष मुस्लिम
युवकों को
जेल से
रिहा करेगी।
लेकिन सरकार 100 दिन
बीतने पर
जश्न तो
मना रही
है और
चुनावी घोषणा
को भूल
गई है।
उन्होंने कहा
कि विधानसभा
में चुनकर आये
मुस्लिम विधायक
या तो
बेगुनाहों की
रिहाई सुनिश्चित
करायें या
फिर इस्तीफा
दे दें।
उन्होंने जनता
से अपील
की कि
मुस्लिम विधायकों
के घरों
को घेराव
करना चाहिए,ताकि वे
चुनावी वादों
को अमल
में ला
सकें।
ऑल इंडिया
मुस्लिम महिला
पर्सनल लॉ
बोर्ड की
अध्यक्ष शाइस्ता
अंबर ने
कहा कि
महिलाओं की
भागीदारी इस आंदोलन
को मजबूत
करेगी। उन्होंने
कहा कि
इस मसले
पर महिलाओं
को गोलबंद
कर सड़कों
पर उतरना
होगा। उन्होंने कहा
कि प्रतापगढ़
के अस्थान
में हुए
दंगे में
सपा सरकार
के मंत्री
राजा भैया
की भूमिका
से तय
हो गया
है कि सपा
यूपी को
गुजरात के
नक्शे कदम
पर ले
जाना चाहती
है।
वरिष्ठ पत्रकार
भाषा सिंह
ने कहा
कि एटीएस
जिस तरह
से निर्दोष
मुसलमानों को
उठा रही
है, उससे
तय है
कि सपा सरकार
अपना वादा
निभाने के
लिए और
मुसलमान युवकों
को जेल
में ठूंसने
पर आमादाहै।
उन्होंने मीडिया
की संजीदगी पर
सवाल उठाया,
कहा कि
आतंकवाद के
आरोप में
की गई
गिरफ्तारी की
खबर को
बड़ी प्रमुखता
से लिखा जाता
है,लेकिन
जब कभी
कोई आरोपी
निर्दोष साबित
होता है
या जेल
से बाहर
आता है,
तो उस
खबर को
न के
बराबर जगह दी
जाती है।
इंडियन नेशनल
लीग के
सैय्यद सुलेमान
ने कहा
कि हमें
देश की
जम्बूरियत को
बचाने के
लिए कमर
कस लेनी चाहिए।
हमें जेल
जाने से
नहीं डरना
चाहिए। उन्होंने
उत्तर प्रदेश
सरकार को
चेतावनी दी
कि अगर
सरकार नहीं चेती
तो कांग्रेस
की गुलामी
2014 में ले
डूबेगी।
वरिष्ठ पत्रकार
अजय सिंह
ने कहा
कि मुसलमानों
को सुनियोजित
तरीके से
शिकार बनाया
जा रहा
है। इस
मसले पर पूरे
देश में
एक राजनीतिक
आंदोलन किया
जाना चाहिए।
लोकसंघर्ष पत्रिका
के संपादक
रणधीर सिंह
सुमन ने
कहा कि
समाजवादी कार्यकर्ताओं
पर लगाये
गये फर्जी मुकदमें
तो वापस
से लिए
गये हैं,लेकिन आतंकवादके
आरोप में
बंद लोगों
को नहीं
छोड़ा गया
है। सरकार
को तारिक कासमी
और खालिद
मुजाहिद से
इस काम
की शुरुआत
करनी चाहिए।
पत्रकार अंजनी
कुमार ने
कहा कि
सरकार की
नजरों में
जो देशद्रोही
पैदा हो
रहे हैं,उसके बारे
में हमें
संजीदगी से सोचना
पड़ेगा। सरकार
की नजर
जनांदोलनों पर
टेढ़ी है,इसलिए हमें
मानवाधिकार आंदोलनों
को तेज
करना होगा,तभी
बेगुनाह छूट
पायेंगे। उन्होंने
पीयूसीएलनेता सीमा
आजाद और
उनके पतिविश्व
विजय की
गिरफ्तारी पर सवालिया
निशान उठाते
हुए कहा
कि उन्हें
कुछ मार्क्सवादी
साहित्यरखने पर
माओवादी बताकर
बंद कर
दिया गया। जो
राज्य के
फासीवादी चरित्र
को दर्शाता
है।
एडवोकेट मो.शोएब ने
कहा कि
अगर सरकार
कचहरी विस्फोट
में पकड़े
गये निर्दोष
तारिक कासमी
और खालिद मुजाहिद
को जुलाई
तक नहीं
छोड़ती है,
तो इसके
खिलाफ सिलसिलेवार
धरना-प्रदर्शन
किया जायेगा।
कुंडा से
आये अनवर
फारुखी ने
बताया कि
उनके भाई
कौसर फारुकी
को एटीएस
ने रामपुर
सीआरपीएफ कांड
में पकड़ लिया,जबकि वे
आज तक
रामपुर कभी
गये ही
नहीं थे।
उन्होंने बताया
कि इसी
तरह उनके
परिवार के
खिलाफ आये दिने
जांच के
नाम पर
परेशान करती
रहती है
और इनके
खिलाफ तथ्यहीन
खबरें छपवाती
है।
कार्यक्रम में
सिद्धार्थ कलहंस,
जैद फारुखी,
तारिक सफीक,
शौकत अली,
आरिफ नसीम,
ऋषि कुमार
सिंह कौसर फारुकी,
सादिक, एकता,
राजीव यादव,
इत्यादि उपस्थिति
थे। संचालन
पीयूसीएल के
प्रदेश संगठन
सचिव शाहनवाज आलम
ने किया।
धरने के
अंत में
आठ सूत्री
ज्ञापन सौंपा
गया-
1.आतंकवाद
के नाम
पर बंद
किये गये
निर्दोष मुसलमानों
को शीघ्र
छोड़ा जाये
तथा उन
पर से
मुकदमें उठाकर
नए सिरे से
विवेचना कराई
जाये।
2.आर डी
निमेश आयोग
की जांच
रिपोर्ट सार्वजनिक
की जाये।
3.जेलों में
बंद आरोपियों
का उत्पीड़न
बंद किया
जाये और
उनकी सुरक्षा
की गारंटी
दी जाये।
4.उत्तर प्रदेश
में आतंकवाद
के नाम
पर होने
वाली गिरफ्तारियों
की निष्पक्ष
जांच कराई
जाये।
5. गैर कानूनी
तरीके से
होने वाली
गिरफ्तारियों पर
तत्काल प्रभाव
से रोक
लगाई जाये।
6.मानवाधिकार नेत्री
सीमा आजाद
व उनके
पति विश्वविजय
की गिरफ्तारी
की सीबीआई
से जांच
कराई जाये।
7.प्रतापगढ़ में
शौकत अली
को एटीएस
अधिकारियों द्वारा
उत्पीड़ित किये
जाने की
जांच कराकर
दोषी अधिकारियों कि
दंडित किया
जाये।
8.मथुरा के
कोसी कलां
और प्रतापगढ़
के स्थान
में हुए
दंगों में
पुलिस व
उपद्रवियों की
भूमिका की
जांच कराई जाये।
द्वारा जारी
मो. शोएब