रविवार, 18 दिसंबर 2011

विनम्र श्रद्धांजलि

Kavi Pankaj Angaar kabirism
चट्टानों सी सख्त थी जिसकी हर इक बात
गुज़र गया संसार से ख़ामोशी के साथ .........

गाया जिसने जाग कर इन रातों का दर्द ......
एक सितारा भी नहीं था उसका हमदर्द .......

लज्जित हो स्वीकारते पंकज हम यह पाप.....
हमने भी बिसरा दिया .उनका हर संताप

ग़ज़लें बौराई फिरें शब्द पड़े बेहोश
मिली दुखद ये सूचना अदम हुए खामोश

विनम्र श्रद्धांजलि

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदू धर्म : एक आधुनिक आविष्कार

    हिंदू धर्म : एक आधुनिक आविष्कार   एक धर्मनिरपेक्ष संविधान वाले देश की सरकार का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के ...