गुरुवार, 3 नवंबर 2011

मायावती को सोनिया गाँधी पर गुस्सा क्यों आता है ? एस.आर. दारापुरी आई. पी. एस .( से.नि.)
कुछ महीने पहिले जब राहुल गाँधी अपने दोस्त ब्रिटेन के विदेश मंत्री के साथ अमेठी के दौरे के दौरान एक दलित के घर पर तखत पर सोया था और वहीँ पर रूखी सूखी रोटी खाई थी तो मायावती की प्रतिक्रिया थी कि राहुल का दलित प्रेम झूठा है. इसी प्रकार जब उसने बुन्देल खंड के दौरे के दौरान एक दलित लडके को अपने कन्धों पर उठाया था तो मायावाती ने कहा था कि राहुल का दलित प्रेम फरेब है. इसके साथ ही मायावती ने यह भी कहा था कि दलितों के घर जाने के बाद राहुल एक खास साबुन से नहाता है और उसका शुद्धिकरण किया जाता है. शायद मायावती जल्दी में साबुन का मार्का बताना भूल गई. इसी प्रकार जब १० से १२ अगस्त, २००९ को सोनिया गाँधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दौरे के दौरान दलित बस्तियों में गई और उसने चौपाल लगा कर दलितों का दुःख दर्द सुना तो मायावती चिल्लाई कि सोनिया गाँधी यानी कि कोंग्रेस का दलित प्रेम एक धोखा है. अब जब भी कोई गैर बसपाई नेता दलितों की बस्ती में जाकर उनका दुःख दर्द पूछने की हिमाकत करता है तो मायावती को गुस्सा आता है. इस के गहरे निहितार्थ हैं . आइये अब देखें कि सोनिया गाँधी अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान विभिन्न गावों की दलित बस्तियों में गईं तो दलितों ने उसके सामने अपना दुखडा कैसे रोया :- १० अगस्त को बछरावां विधान सभा क्षेत्र के सुधौली गढ़रियाँ खेडा गाँव में दलित कलावती के घर पर तखत पर बैठ कर चौपाल लगाई तो कलावती ने बताया कि बच्चों को स्कूल में सही खाना नहीं मिलता. दूसरे दलितों ने कहा कि उन्हें नरेगा के तहत जाब कार्ड नहीं मिले. रुस्तम खेडा में शीतलादीन के यहाँ व गजियापुर में शिवबरन ने नरेगा के तहत मजदूरी कम मिलने व कुछ काम न मिलने की बात कही. जब सोनिया समता इंटर कॉलेज के बगल में खोदे जा रहे तालाब पर गईं और पूछा कि तालाब की मिटटी कहाँ गई तो अमन और अंकुर ने बताया कि तालाब तो पहले से ही गहरा था, लोगों को काम नहीं दिया गया और मजदूरी भी पूरे दिनों की नहीं दी गई. रातों रात इस की पक्की बाउंड्री बनाई गई है. बड़ी संख्या में गरीबों के जाब कार्ड नहीं बने हैं. राजिंदर कुमार ने कहा कि जमीन और आवास के गलत पट्टे दिए गए हैं. शेषपुर समोधा गाँव में संतोष, मुन्नी देवी, सुधा देवी आदि ने कहा कि उन्हें गरीबी की रेखा से नीचे वाले राशन कार्ड न देकर गरीबी की रेखा से ऊपर वाले राशन कार्ड दिए गए हैं.नरेगा के कार्ड बनाने के लिए दौड़ रहें हैं. राजा मऊ की सड़क पर पानी भरा देख कर सोनिया ने पूछा कि यह सड़क कब बनी है तो सुखपाल ने बताया कि प्रधान मंत्री सड़क योजना के अर्न्तगत डेढ़ साल पहले बनी है. इस में साल भर पानी भरा रहता है. मुबारकपुर साँपों में भी दलितों ने उन्हें कई समस्याएँ बताईं. सतांव विधान सभा क्षेत्र के अघोर गाँव में दलित आत्मा राम के छप्पर के नीचे बैठ कर लगाई चौपाल में राजरानी, रमेशवरी, जगदीश ने राशन कार्ड गलत तरीके से बनाने के समस्या बताई. विद्यावती सोनिया का हाथ पकड़ कर अपने छप्पर वाले घार में ले गई और अपनी बदहाली दिखाई कि उनके घर बारिश में गिर गए थे अब तक मुआवजा नहीं मिल पैदेपुर गाँव में राजरानी ने कहा कि गाँव में दर्जनों परिवार जिस जमीन पर सालों से रह रहें हैं, अब उन के ऊपर अवैध रूप से सरकारी जमीन पर कब्जा कारने का मुकदमा लगा दिया गया है. इस पर सोनिया गाँधी ने एस. डी. ऍम को तलब कर के पूछा. जब ११ अगस्त को सोनिया गाँधी सराए दिगोसा गाँव में नारायण पासी के दरवाजे पर चौपाल में पहुंचीं तो ग्रामीणों ने राशन कार्ड, जाब कार्ड और सड़क न बनाने कि शिकायत की . सूखे के कारण और बिजली के न आने के कारण फसलें सूखने के बात बताई . सोनिया लोगों से बात कर ही रही थी कि एक दलित महिला चंदा फूट फूट कर रोने लगी. पूछने पर बताया कि उसके पति छेदी लाल जो टी.बी. का मरीज़ है को पुलिस सुबह उठा कर ले गई है. गुस्से से लाल हुई सोनिया ने पुलिस व् प्रशासन के अफसरों से कहा कि , "आखिर दलितों को क्यों परेशान किया जा रहा है?" थाना अध्यक्ष ने कहा कि अभी छोड़ देंगे. यहाँ से आगे बढ़कर जब सोनिया केसरुया गाँव पहुंची तो लोंगों ने बताया कि बिजली नहीं आती, नरेगा के कार्ड नहीं बने, सूखे से कैसे निपटेंगे. चीनी मिल के सदस्य सुरेंदर सिंह ने कहा कि मिल बंद नहीं होनी चाहिए वरना किसान भूखे मर जायेंगे. कुड्वल जाते समय रास्ते में लाल साहेब के पुरवा का संपर्क मार्ग का निर्माण नरेगा के तहत हो रहा था. यहाँ पर सोनिया रुकीं तो काम में हो रहीं सारी गड़बढियां उजागर हो गईं. सोनिया ने एडम प्रशासन से कहा कि यह सब ठीक नहीं है. ग्राम प्रधान ने सफाई देते हुए कहा कि उनके पास जॉब कार्ड नहीं हैं. साथ ही इन लोगों के बैंक खाता नंबर भी नहीं मिले हैं. नरेगा के कार्यों का प्रस्ताव अधिकारी पास नहीं करते. जब आप आती हैं तो काम कराने का दबाव होता है. ऐसे में वह दोनों ओ़र से फंस्तें हैं, बताएं हम क्या करें? सोनिया ने एडम की तरफ चकित हो कर देखा व् बोलीं के विकास कराइए. दौरे के तीसरे दिन १२ अगस्त को सोनिया गाँधी ने कछार गाँव में चारपाई पर बैठ क़र दलितों की समस्याएँ सुनी. कांपते हाथ थाम कर ढाढस बंधाया औ़र कहा, " चिंता मत करिये, धीमे धीमे विकास होगा. " वहां से चल कर सोनिया जब्बारी पुर गाँव पहुंची. वहां जगतपाल व् देश राज के दरवाजे पर पड़ी चारपाई पर बैठ कर समस्याएँ सुनी. लोगों ने पेयजल की किल्लत औ़र वर्षा न होने के कारण फसल न बो पाने की बात बताई. देश राज बोले, अब पेट भरने का इंतजाम नहीं है क्योंकि नरेगा में मजदूरी नहीं मिल रही है. दो साल पहले काम मिला था. प्रेमवती व् रामकली ने कहा कि उनका राशन कार्ड तक नहीं बना है. मिश्री लाल की पत्नी राधा ने बताया कि वह बहुत दिनों से जाब कार्ड बनाने के लिए दौड़ रही है, लेकिन कोई सुन नहीं रहा है. अब क्या करें? पास में खड़ी फूलमती के कपडे फटे देख क़र सोनिया ने उसे पास बुलाया और २०० रूपये दिए और कहा हम "कुछ जरुर करेंगे." टूटी फूटी सड़क से हो कर जब वह कदरावां गाँव पहुंची तो दलितों ने बताया कि एक हज़ार की बस्ती में तीन हैण्ड पम्प हैं लेकिन उन में से दो ख़राब है. पूछने पर पता चला की वहां लोगों को नरेगा के बारे में कोई जानकारी नहीं है. कुछ बेघर औरतों ने इंदिरा आवास की मांग की. सोनिया के पैर छू कर कहा कि हैण्ड पम्प लगवाएं वरना प्यासे मर जायेंगे . मिर्जा इनायात उल्लाह पुर गाँव की दलित्बस्ती में राम सूचित के दरवाजे पार प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठ क़र फरियाद सुनी. ग्रामीणों ने कहा कि खेती को सूखा मार गया है. अब तो प्यासे मरने की बारी है. सिर्फ एक हैण्ड पम्प है औ़र वह भी खराब रहता है. मैकू लाल ने कहा कि पास की नहर सालों से सूखी पड़ी है, उसे शारदा नहर से जोड़ दिया जाये तो पांनी आ जायेगा. रामकली रोई औ़र कहा कि उसका घर गिर गया है. बेटों को नरेगा में मजदूरी भी नहीं मिल रही. पूरे गाँव के लोगों ने कहा कि पीने का पानी दिलायें. शम्भू नाथ ने बिजली न आने का रोना रोया. अब सोनिया गाँधी के अपने संसदीय क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे के दौरान दलितों की चीख पुकार और समस्याओं की जो तस्वीर उभर कर सामने आई है और प्रेस एवं मीडिया ने उसे सब के सामने उजागर किया है, उस से मायावती के दलित प्रेम का पूरी तरह से भंडा फोड़ हो गया है. यह बात सही है कि अब तक कोंग्रेस का दलित प्रेम केवल एक राजनीतिक खेल ही रहा है. परन्तु; जहाँ तक सोनिया गाँधी और राहुल का प्रशन है फ़िलहाल उनकी ईमानदारी पर शक करने कोई गुंजाईश नहीं बनती. दलितों की जिन मूलभूत समस्याओं का निराकरण चौ़थी वार मुख्य मंत्री बनी मायावती को करना चाहिए था, वह उस में पूरी तरह विफल रही है जिस के फलस्वरूप वर्तमान में उत्तर प्रदेश के दलित बिहार, उडीसा और मध्य प्रदेश के दलितों को छोड़ कर शेष भारत के सभी दलितों से पिछडे हुए हैं. अब चूँकि दलितों को यह एहसास हो गया है कि अब तक 'दलित कि ' बेटी ' के नाम पर उनका भावनात्मक शोषण ही हुआ है, अत उन का मायावती से मोह भंग हो गया है. पिछले लोक सभा चुनाव में दलितों ने अपने इस मोह भंग और आक्रोश का इह्सास मायावती को करवा दिया है. इस चुनाव में मायावती को सब से अधिक समर्पित उपजाति ( चंमार/जाटव) के बड़े हिस्से ने मायावती को वोट नहीं दिया. जब लेखक ने हाल में एक गाँव के चमार जाति के व्यक्ति से मायावती को वोट न देने का कारण पूछा तो उस ने आक्रोश भरे लह्जेमें कहा, " मायावती ने हमारे लिए क्या किया ? उसने अपने लिए ही पैसा कमाया है, हमें तो राशन कार्ड और जब कार्ड भी नहीं मिला. वह करोडों ख़र्च क़र के अपनी मूर्तियाँ लगा रही है, उसे भूख से मरते दलित दिखाई नहीं देते हैं." अब जब राहुल और सोनिया गाँधी दलित बस्तियों में जा कर उनकी दुर्दशा जानने की कोशिश करते हैं तो दलितों की गरीबी , शोषण, भुखमरी और बदहाली के मुद्दे विराट रूप धारण करके उभरने लगते हैं जो मायावती के लिए कठिन सवाल खड़े कर देते हैं और जिनका जवाब उस के पास नहीं है . ऐसी विकट स्थिति पैदा करने के लिए मायवाती को राहुल और सोनिया पर गुस्सा नहीं तो क्या प्यार आएगा? S.R.Darapuri I.P.S.(Retd) email : srdarapurui@gmail.com 18/455, Indira Nagar, Lucknow (U.P.) - 226016

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