आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की हाल में हुयी मीटिंग में चुने गए
जन अधिकार के लिए आंदोलन के प्रस्तावित मुददे :
1- प्रदेश में माफिया-पुलिस-गुण्डाराज की जगह कानून का शासन स्थापित हो। नागरिकों की सुरक्षा और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की गारण्टी हो।
2- न्यायमूर्ति आर0 डी0 निमेष कमीशन की रिपोर्ट को तत्काल सार्वजनिक किया जाये और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी लड़ार्इ के लिए यह जरूरी है कि उन सभी अधिकारियों और ए जेनिसयों को दणिड़त किया जाए, जिन्होनें निर्दोष लोगों को अनावश्यक रू प से गिरफ्तार किया और अभी भी जेलों में बंद रखा है। साथ ही प्रदेश में और दंगे न हो इसके लिए भी जरूरी है कि अखिलेश सरकार के सालभर से कम शासन में हुए 27 दंगों की जांच सी0बी0आर्इ0 से करायी जाए। अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों की सुरक्षा की हर हाल में गारंटी की जाए।
3- उ0 प्र0 में अति पिछड़ों को दलितों से लड़ाने की नीति से सरकार बाज आए और अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण में से अति पिछड़ों का कोटा अलग किया जाए। धारा 341 को खत्म कर दलित मुसलमानों व र्इसाइयों को अनुसूचित जाति में षामिल करने के लिए प्रदेश सरकार विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजे। कोल जैसी आदिवासी जातियों को जनजाति में षामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेष के अनुसार गोड़, खरवार जैसी आदिवासी का दर्जा पायी जातियों के लिए चुनाव में सीट आरक्षित की जाएं।
4- गन्ना, गेहू और धान की खरीद का तत्काल प्रभाव से भुगतान हो और भुगतान न करने वालों को दणिड़त किया जाए।
5- समाजवादी पार्टी अपने धोषणापत्र के वायदे के अनुसार किसान की उपज का लागत मूल्य निर्धारित करने के लिए तत्काल प्रभाव से आयोग का गठन करे। लागत मूल्य का पचास प्रतिशत जोड़ कर बुआर्इ के पहले विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य धोषित कर किसानों क ी उपज की खरीद को सुनिशिचत करे।
6- लखनऊ-आगरा ए क्सप्रेस वे जैसी योजना जिसके निर्माण के लिए तेजी से सरकार आगे बढ़ रही है, को पूर्णतया रदद किया जाए। लखनऊ-आगरा ए क्सप्रेस वे और गंगा ए क्सप्रेस वे जैसी सड़क योजनाओं का मकसद यातायात के सवाल को हल करना नहीं बलिक किसानों की उपजाऊ भूमि को छीनकर बिल्डरों, पूजी धरानों के हवाले करना है जिससे कि वे वहां टाउनशिप और फार्म हाउस बनाकर बेहिसाब मुनाफा कमाएं। यह सभी को मालूम है कि यातायात के लिए प्रस्तावित यह दोनों ए क्सप्रेस वे के बगल में बेहतर नेशनल हार्इवे मौजूद हैं।
7- जब तक देश में भूमि उपयोग की समग्र नीति भूमि उपयोग आयोग का गठन करके केन्द्र सरकार द्वारा नहीं बना दी जाती तब तक किसानों की जमीन की खरीद पर पूर्णतया प्रतिबंध हो साथ ही उ0 प्र0 सरकार इस आशय का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर केन्द्र सरकार को भेजे।
8- बेकारी भत्ता बेरोजगारी के सवाल को हल नहीं कर सकती इसलिए जरूरी है कि रोजगार के अधिकार को संविधान के नीति निदेशक तत्व से हटाकर मौलिक अधिकार बनाने के लिए उ0 प्र0 शासन विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजे। रोजगार पैदा करने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाएं और भर्ती पर लगी रोक हटायी जाएं।
9- मिर्जापुर, सोनभद्र और चंदौली जनपद में माओवाद का प्रभाव अब समाप्तप्राय है। आदिवासी, गरीब समाज के लोग, जो व्यवस्था से अलगाव और विक्षोभ की वजह से माओवाद के प्रभाव में चले गए थे, उस क्षेत्र में लगातार चले लोकतांत्रिक आंदोलन की
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वजह से प्रभावित होकर राजनीति की मुख्यधारा में लौट आए है। फिर भी माओवाद से निपटनें के नाम पर वहां गरीबों का दमन हो रहा है और फर्जी मुठभेड़ दिखायी जा रहीं है। पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही इस तरह की कार्रवाहियों पर रोक लगनी चाहिए। माओवादी होने के नाम पर गरीबों पर चल रहे मुकदमें समाप्त किए जाए और जेल में बंद सभी लोगों को, जिसमें बड़ी संख्या महिलाओं की है, उन्हें रिहा किया जाए।
10- मनरेगा को समाप्त करने की कोशिश में लगी उ0 प्र0 सरकार अपनी मजदूर-गरीब विरोधी कार्रवाही को बंद करे। किसानों और मजदूरों को लाभ पहुंचाने के उददेश्य से बने इस कानून को लागू किया जाए और हर हाल में 100 दिन के रोजगार की और 15 दिन में मजदूरी भुगतान की गारंटी की जाए। जिन जिलों में 100 दिन काम की गारंटी न हो वहां के जिलाधिकारी को दोषी माना जाए और उन्हें दणिड़त किया जाए। मनरेगा के तहत काम के दिनों में वृद्धि की जाए, न्यूनतम वेतन को मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाए और इसका विस्तार शहरी क्षेत्र के लिए भी हो।
11- सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेष है कि बिना पर्यावरण विभाग की अनुमति के खनन न किया जाए। बिना पर्यावरण अनुमति के किया जा रहा खनन अवैध है। उ0 प्र0 में अवैध खनन शासन के सक्रिय सहयोग से बड़े पैमाने पर चल रहा है। अवैध खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जाए और अवैध खनन के पूरे मामले की सीबीआर्इ से जांच करायी जाए।
12- प्रदेश में आंगनबाड़ी, आशा, मिड़ डे मील, मनरेगा कर्मियों, शिक्षामित्र, वित्त विहीन शिक्षक और संविदा श्रमिक जीविका के गम्भीर संकट के दौर से गुजर रहे है। इन कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और जब तक यह न हो उन्हें कम से कम 10000 रू पए न्यूनतम मजदूरी दी जाए।
13- वनाधिकार कानून को लागू किया जाए और आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को जिस जमीन पर वह काबिज है, बेदखल न किया जाए और अभियान चलाकर वनाधिकार कानून के तहत उन्हें उसका मालिकाना हक दिया जाए। विस्थापितों से हुए समझौतों को भी पूरी तौर पर लागू किया जाए।
14- भूमि सुधार नीति को लागू किया जाए और हर गरीब के लिए आवास की गारंटी की जाए।
15- एपीएल-बीपीएल श्रेणी को खत्म कर हर नागरिक को 50 किलो राषन 2 रू पए के दर पर दिया जाए।
16- बुनकरों के कर्जे माफ किए जाएं, उन्हे मुफ्त बिजली दी जाए और विशेष सर्वे कराकर उन्हें लाल राशन कार्ड दिये जाएं।
17- प्रदेश में बिजली वितरण क्षेत्र के निजीकरण और बिजली दरों को बढ़ाने पर रोक लगार्इ जाएं। दरअसल प्रदेश में पैदा हुआ गंभीर बिजली संकट भ्रष्टाचार की देन है। भ्रष्टाचार और कारपोरेट मुनाफे के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अनपरा-ओबरा में निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा ने बिजली संकट को और गहरा किया है। ठेकेदारी प्रथा य हां से खत्म हो, ठेका मजदूरों का विनियमितिकरण किया जाए, सार्वजनिक क्षेत्र के बिजली घरों को और मजबूत बनाया जाए और उनका विस्तार किया जाए।
18- खाधान्न घोटाला अभी भी उ0 प्र0 में चल रहा है इस पर रोक लगायी जाए और जबाबदेह लोगों को दण्ड़ दिया जाए।
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