रविवार, 3 मार्च 2013

मनु महा ठगवा हम जानी
 

"मनु महा ठगवा हम जानी" शीर्षक से प्रो. तुलसी राम, जे. ऐन. यू . नई दिल्ली द्वारा लिखित यह कविता "दलित एशिया टुडे" पत्रिका जो बाद में "दलित टुडे" नाम से कई वर्षों तक दलित टुडे प्रकाशन , लखनऊ से छपती रही में फरबरी, 1995 में पहली बार छपी थी . बाद में इस कविता को कांशी राम द्वारा बीएसपी के लिए "तीसरी आजादी" नाम की बनवाई गयी फिल्म में टाइटल गीत के रूप में प्रयोग किया गया था .परन्तु इस में तुलसी राम जी के नाम का कोई भी उल्लेख नहीं किया गया। बीएसपी द्वारा इस फिल्म के कैसेट खूब बेचे गये और दलितों को लामबंद करने के लिए इस का भरपूर इस्तेमाल किया गया . इस फिल्म में भारत के मूलनिवासियों पर विदेशी आर्यों के आक्रमण और अत्याचारों तथा इस के विरुद्ध दलितों के संघर्ष को दिखाया गया है.
बाद में जब 1995 में बीजेपी के सहयोग से मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनी तो इस फिल्म को एक तरीके से छुपा लिया गया। इस बीच में मायावती दो बार बीजेपी के समर्थन से मुख्य मंत्री बनी . पिछली बार जब 2007 में मायावती चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनी तो बीएसपी के एक मंत्री द्वारा बस्ती जनपद में वीडियो पर अपने कार्यकर्ताओं को यह फिल्म दिखाई गयी तो इस पर कुछ सवर्णों द्वारा इसे सवर्णों के लिए अपमान जनक कह कर आपत्ति की गयी और यह बात एक अखबार में भी छपी। इस पर मायावती ने प्रेस वार्ता कर के यह कहा कि इस फिल्म को बीएसपी ने नहीं बनवाया था और अपने सर्वजन (सवर्ण) समर्थकों को खुश करने के लिए इस फिल्म के दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया जो आज तक चल रहा है.
इसी लिए दलितों को अपने नेताओं से बहुत सावधान रहना चाहिए .
- एस. आर. दारापुरी आई. पी. एस. (से. नि. )
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मनु महा ठगवा हम जानी
डॉ तुलसी राम

क्षत्रिन के संग रास रचायो, बाभन हाथ बिकानी।
मनुस्मृति का लियो लुहाठा , कियो बहुत शैतानी।
दलितन के घर आग लगायो , छूने दियो न पानी।
चार वर्ण में देश को बांटा , गज़ब तेरी मनमानी।
बाभन को तू स्वर्ग दिलायो, दलितन नर्क पठानी।
क्षत्रिय ले तलवार की सत्ता, चलें मूंछ को तानी।
चोर बजारी बनिया पायो, बेचे सोना-चानी।
शूद्र्न को तू किया निरक्षर, सदियाँ यूँ ही बितानी।
बचवा बचवा घूमें नंगा, भूख से कटे जवानी।
जनम-मरण तक रहे गरीबी, कैसी बेद-पुरानी।
मानव से मानव लड्वायो, खून से लिखी कहानी।
जाग बिरादर बांधो मुट्ठी, दलितन राज चलानी।
' तुलसी राम' कहत हे भाई, गावो 'आंबेडकर-बानी'.
मनु महा ठगवा हम जानी।।

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